Wednesday, May 6, 2020

हैप्पी मदर्स डे


नमस्ते दोस्तों


   बहुँत  उत्साहित  होंगे आप सब, १० मई को मदर्स डे  जो है  

जैसे की आप सभी जानते ही हैं ,"माँ  पे क्या लिखुँ   माँ  ने तो खुद मुझे लिखा है  😁 💗

फिर भी मैंने अपने मन की मंजूषा से कुछ कलेक्शन निकालने की कोशिश की है, शायद आपको पसंद आये |

विरासत में किसी को सोने के कंगन पसंद हैं तो किसी को नवलक्ख्हा हार पर मेरी पसंद है ये मेरा छोटा गिलास

ये मेरा छोटा गिलास

ये गिलास मुझे इत्ता क्यो पसंद है ये  मै आपको जरूर बताउंगी  पर  पहले ये सुनो न जिसने  सुबह से कानो में रस घोल रखा है 👇



वो सुबह से ही कुछ गए जा रही है , माँ  है शायद ,बेटे को जगा रही है|

 

१ कविता :

मैं माँ सी , नही बनना चाहुँगी


अरे मैं तो सुबह ताज़ी हवा फेफडो में भर के नन्हे सुरज को निहारूँगी
तीमारदारी से ही कोई दिन शुरु करता है  भला ?

अरे मैं तो जैसे भी काम जल्दी से निपटाउंगी
हर काम में निपृुण  क्या कोई होता है  भला ?

अरे मैं तो  अपना ही रोना ले कर बैठुँगी
बातें गलत सी भी  कोई चुपचाप सुन लेता है भला ?

अरे मैं तो  लड़ भी जाऊँगी
'आख़ीर दिन भर करती क्या हो?' से शब्द कोई शान्ति से सह लेता है भला ?

आसमान में  उड़ता है  चिडिया सा मन

 निर्बाध सा

.... के अचानक हंसी गई

घोंसले में बैठे मासुमों के लिये....
  
 हाँ मैं  भी ईक दिन माँ  सी ही बनना चाहुँगी|


माँ केवल एक व्यक्ति नहीं है

 एक भावना है


 माँ केवल एक व्यक्ति नहीं है वह एक भावना है



अवसाद के पुराने क्रूर गाँठ को  खोल देने  की भावना 

पूरी दुनिया के सामने मजबूती से खड़े होने के जज्बे की भावना

ब्रह्मांड में हर जीव के साथ दयालु होने की भावना

सुखदायक पानी की भावना जब आप हद तक प्यासे हों 
दाल रोटी आलू पराठे  (आज कल ये ही चलता है साहब 😅) की भावना जब आप बेहिसाब भूखे हो 
उसका प्यार एक नदी की तरह बहता है जो सूख नहीं सकता 
क्यूँकि  
     माँ केवल एक व्यक्ति नहीं है
वह एक भावना है

मदर इस नॉट ओनली अ  पर्सन शी  इज़ एन इमोशन



 २ कविता :

ये मेरा छोटा चाय गिलास 


ये डिज़ाइनर कप कितना भी इतरा लें  पर मुझे भाता है बस ये मेरा छोटा गिलास
मुझसे बड़ा है उमर में ये सोंच के मुस्कुराता है ,ये मेरा छोटा गिलास

तू बना नहीं तू बना, की झड़प जब दोनों बीच  होती है
रतजगी  बेटी से अक्सर  माँ हार  जाया करती है
फिर प्यार से भरी, इसे भी गले तक वो भरती है

चाय की मिठी चुस्की का भी ओवरडोज़ पिलाता है
तभी तो डिज़ाइनर कप कितना भी इतरा लें  पर मुझे भाता है बस ये मेरा छोटा गिलास

बचपन के दिनों में यही तो  मम -मम  भी पिलाता था
फिसल के नन्हे  हाँथो से ,दालु भातु में गिर जाता था
अतिथियों के बच्चों  को  भी तो ये लुभाता है
ये सुन के बोलो  तुमको भी क्या कुछ कुछ याद  आता है? 
तभी तो डिज़ाइनर कप कितना भी इतरा लें  पर मुझे भाता है बस ये मेरा छोटा गिलास

जोड़ के हर १ चवन्नी ,घर नानी माँ ने है बनाया
उसके हर १ वस्तु में प्राण जैसे हो बसाया
उनमे से १ ये भी तो नजर में सबके आता है
तभी तो डिज़ाइनर कप कितना भी इतरा लें  पर मुझे भाता है बस ये मेरा छोटा गिलास



छोटी सी बात माँ क सांथ

हैप्पी मदर्स डे दोस्तों 😊😊


-प्रगति 




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१ और प्यारा पोस्ट  👉 गाँठे (मन की उलझन )

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