Tuesday, April 21, 2020

गाँठे (मन की उलझन )

बड़ी विचित्र होतीं हैं ना ये

गाँठे 


नये जोड़े के  गठबंधन  में खुशियाँ  बिखेरतीं ये

कभी  यादों की गठरियाँ बनकर दुखी भी  किया करती हैं|

बन  जाती  रक्षक सी कभी जो भाई के हाथो में  बंधे

बहन  के पैरों में बंधे तो सपने तोड़  देती  है|
जो केश में गुंथे तो ख़ूबसूरती बढाती हैं
पड़े जो खुद ही बालों में उन्हें भी उलझा जाती हैं|
लिए प्यार की डोर पड़ जाए जो ये रिश्तों पर
  सवांर देती जिंदगी मिला ही देती है शिखर
मगर तहों पे मन के पड़ के बना भी देती ये अधर
जो राह में परमपिता के सेतु बने तो सागर सी
तो मोह सी उलझनों में पड़े तो लगती उलटी गागर सी 
                                             है न बड़ी विचित्र सी ये  गांठे|


गाँठे  (मन की उलझन )

                    कविता को पढ़ कर आपने गठनो के विभिन्न रूप देखे जिनमें  ये हमारे जीवन में अलग अलग तरह से प्रभाव डालती हैं पर हम यहाँ उन गठनो की चर्चा करेंगे जो हमारे मन की गहराइयों में पड़ी रहती है और हम उनमे बंधे हुए अपने जीवन को जैसे तैसे चलाते  रहते हैं और शिकायत करते रहते है की हमे अपने जीवन में सुख नहीं मिलता |


             इन गठनो को महज १ उलझन समझना गलत होगा क्यों की उलझे हुए धागों को तो फिर भी सुलझाया जा सकता है (मस्तिष्क में चल रहे विचारों को मंथन कर के १ निष्कर्ष निकला जा सकता है ),  यहाँ बात उन चीजों की है जो हमारे मन में न जाने कितने ही वर्षों से पड़ी हुई हमे बाँधे हुए है|इनकी वजह से कई बार हम कभी अपने रिश्ते खो देते है तो कभी अपना आत्म सम्मान | इनके कारण हमे कभी गुस्सा आ रहा होता है  तो कभी हम डरों से घिरे होते हैं |अब चुकी ये हमे प्रत्यक्ष तो समझ नहीं आती  तो इन्हे खोलने हमे अपनी गहराइयों में उतरना होगा |
            
                    अरे रुकिए , मैं आपको कोई बड़ा भारी  काम करने क लिए नहीं  बोलूंगी बस  १ छोटा सा प्रैक्टिकल सा काम आपको करना है जिसे कर के  आपको खुद इसका लाभ समझ आ जायेगा | तो  बस उठाइये १ कागज और १ कलम  और लिख डालिये जो भी मन में आ रहा हो | हो सकता है जब आप लिख रहे हो तो आपको कुछ भी समझ  न आये की ये मैं क्या लिख रहा /रही हूँ ,पर कुछ दिनों में आपको समझ आने लगेगा की आपका मन आपसे क्या बातें करना चाहता है |
  
                            अगर वो कुछ बातें  कह रहा है जो आपको गलत लग रही है , फिर भी आप उसे रोकियेगा नहीं ,क्यों की मन में दबी रहने से अच्छा है की वो बात बाहर निकले और हमारा मन हल्का हो सके | मन की गाँठे खोलने का असल  अर्थ भी तो यही है , और जब हमें समस्या का सही पता मालूम होगा तभी हम समाधान को वहाँ तक पहुँचा सकेंगे|
अपनी भावना लिखें



               आप सोंच रहे होंगे की ये सब तो हम बिना लिखे भी कर  सकते हैं ,इसमें इतना मेहनत कर लिखने  की  क्या आवश्यक्ता……आप बेशक़ बिना लिखे ही बातें सुलझा सकते हैं.....पर आपको पता ही होगा , यूएस फाउंडेशन रिसर्च क अनुसार मानव मस्तिष्क में १ दिन में  पचास हजार तक विचार आ जाते हैं तो ऐसे में संभव है की आप अपने लक्ष्य (मन की गाँठे खोलना ) से भटक जाएँ |  कागज और कलम आपको  अपने विचारो को सुव्यवस्थित  करने की भी सुविधा देते हैं | हो सकता है लिखने से आपके मन में कई दिनों से चल रहे किसी सवाल का जवाब आपको मिलता हुआ नजर आ जाए | 

मत बनने दो गाँठे मन में


             देखो आप मैडिटेशन करने के लिए ध्यान लगा कर  बैठने की कितनी ही कोशीशे रें पर अगर आपका मन  बंधा हुआ महसूस कर रहा हो तो वह आपका ध्यान नहीं लगने देगा |तो आप पहले उसे आज़ाद रें और अपने जीवन उद्देश्य को पूरा करने  हर्षित मन से आगे बढ़ते जाएँ।



सच्ची ख़ुशी का आधार खुद से प्यार



वो गाना सुना है  ?              

    दिल की गिरह खोल दो चुप बैठो कोई गीत गाओ

फिल्म रात और दिन का गाना

आज कल मैं खुद को बार बार ये ही गीत गाते  हुए पाती हूँ ,मेरा मानना ​​है कि ब्रह्मांड मुझे पुरानी कठोर स्मृति से खुद को मुक्त  करने के लिए और धीरे-धीरे खुद की ओर बढ़ने क लिए  मार्गदर्शन करता है
तो 

महफ़िल में अब कौन है अजनबी ,तुम मेरे पास आओ.......😊  

आपको मेरी ओर से शुभकामनाएं 😊

-प्रगति 

littleknoted


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१ और प्यारा पोस्ट  👉  हैप्पी मदर्स डे

धन्यवाद 😍

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